दो दिल आसानी से एक नहीं हो सकतें क्योंकि दोनों ही दिलों में एक दूसरे के लिए कोई जगह नहीं होती। ये जगह तो हमें, एक दूसरे से मिलने के बाद एक दूसरे के लिए बनानी पड़ती है ।
दोनों ही दिल अपनी-अपनी जगह पर अपनी ज़िन्दग़ी से जुड़ी सबसे खास चीज को sacrifice करते हैं तब जाकर दोनों दिलों में थोड़ी जगह बनती है जँहा दोनों दिल एक दूसरे को जगह दे पाते हैं।
और ये sacrifices हम कोई सोच समझकर नहीं करते वो तो खुद-व-खुद हो जाता है।
बस थोड़ा ध्यान और इत्मिनान से सोचिये के हमने किसी को दिल में जगह देने के लिए क्या sacrifices किये हैं? और ऐसा ही कोई sacrifice सामने वाले ने भी किया है।

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