Saturday, 1 October 2016

हम तन्हा नहीं होते जब हम तन्हा होते हैं...


हम तन्हा नहीं होते जब हम तन्हा होते हैं...

अक्सर हम जब अकेले होते हैं तब हम ये सोच कर निराश हो जाते हैं के हम बिल्कुल अकेले हैं, हमारे साथ कोई नहीं है लेकिन अगर हम अपनी तन्हाई को ही अपना साथी बना लें तो हम फिर शायद अकेले नहीं रह जायेंगे।

हमारे जीवन की खुशियों में तो हर कोई शामिल हो जाता है लेकिन जब दुःख की बाड़ी आती है तो उस समय तन्हाई के अलावा और कोई नहीं होता हमारे साथ।

हमारे जीवन में हर कोई हमारा साथ छोड़ कर जा सकता है लेकिन हमारी तन्हाई हमेशा हमारे साथ साथ रहेगी।

इसलिए मुझे लगता है, हमें अपनी तन्हाई से भागना नहीं चाहिए बल्कि उसे अपना हमसफ़र, हमकदम, हमराज़ बना लेना चाहिए, ये हमें कभी निराश नहीं करेगा।


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