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ये एक कड़वा सत्य है के हम सभी अपने आस-पास मौजूद अच्छे लोगों की क़द्र नहीं करते जबकि वे हमेशा हमारी मदद करते हैं, सुख में दुःख में, हर परिस्थिति में साथ रहते हैं। हम उनका मोल समझ ही नहीं पाते हैं। लेकिन जैसे ही वो हमारे जीवन से दूर चले जाते हैं हमें उनकी अच्छाई का एहसास होने लगता है। हमें इस बात का एहसास हो जाता है के उनके बिना हमारा जीवन अधूरा है।
अच्छे लोग भोजन में नमक की तरह होते हैं उनकी मौजूदगी का अहसास इतना नहीं होता पर गैर मौजूदगी सारे भोजन का स्वाद ख़राब कर देती है।
ये अच्छे लोग हमारे जीवन में किसी भी रूप में हो सकते हैं- माँ-बाप के रूप में या फिर भाई-बहन के रूप में, जीवनसाथी के रूप में या फिर दोस्त के रूप में।
ये अच्छे लोग हमारे जीवन से चले जाये, उस दिन का इन्तेज़ार ना करें बल्कि इन्हें वो सम्मान और प्रेम दें जिनके ये हक़दार हैं।
हालाकिं ये ऐसा कुछ की उम्मीद नहीं रखते क्योंकि बिना हम से कुछ लिए भी ये हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करेंगे जैसा ये अबतक करते आये हैं क्योंकि ये लेन-देन से पड़े होते हैं।
बस हमे इस बात का अफ़सोस इनके चले जाने के बाद ना हो के हम इन्हें वो नहीं दे पाये जो इन्हें मिलना चाहिए था।

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