Tuesday, 5 July 2016

आँसू...

आँसू...एक ऐसा हमसफ़र जो हमेशा साथ निभाता है।
आँसू...एक ऐसा दोस्त जो हर ग़म में साथ रहता है।
हर ख़ुशी में हमारे साथ होता है भले हमारे साथ खुशियाँ मनाने वाला कोई ना हो।
हर ग़म में, हर दुःख में हमारे साथ खरा रहता है।
सारे रिश्ते झुटे साबित हो जाते हैं, सारे हाँथ छूट जाते हैं लेकिन हमारे आँसू कभी हमारा साथ नहीं छोड़ते।
आँसू... वो आईना होता है जहाँ सब कुछ साफ साफ नज़र आ जाता है। 
हमारी सच्चाई,
हमारी ईमानदारी,
हमारी मासूमियत,
हमारी शरारत,
हमारा दर्द,
हमारी खुशियाँ,
हमारा प्रेम
हमारे आँखों से बस आँसुओ को छलकने भर की देर होती है, हम कितना भी खुद को छुपाते रहें मगर हमारे जज़्बात, हमारी भावनाएं आँसुओ संग नज़र आ ही जाते हैं।
लेकिन फिर भी हम कभी कभी इन आँसुओ को झूट और नौटंकी समझ लेते हैं। 
दरअसल शायद हम उन आँसुओ की भाषा समझ ही नहीं पाते।
कहीं ना कंही हमारे अंदर संवेदना की कमी होती है
क्योंकि आँसुओ में feelings और sentiment होता है और अगर हमारे अंदर इनकी ही कमी हो तो किसी के आँसुओ को हम क्या समझ पाएंगे।
खैर...हमारे साथ हमें शायद हम से भी ज्यादा समझने वाला हमारा दोस्त, हमसफ़र हमारे आँसू काफी है।
जब ये साथ हैं तो फिर हमें किसी और कंधे की क्या जरुरत है....

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