Tuesday, 30 August 2016

प्रार्थना...


ईश्वर की प्रार्थना का अर्थ ये कभी नहीं हो सकता है के...हम कुछ सब्दों या पंक्तियों को केवल दोहराएं।
बल्कि प्रार्थना का अर्थ ये हो सकता है के...या तो हम उन शब्दों तथा पंक्तियों का अर्थ समझ कर शांत चित्त से अपने ईश्वर को याद करें, या फिर... बिना कुछ कहे
बस ह्रदय से अपने ईश्वर को याद कर लें।
क्योंकि हमें अपने ईश्वर से कुछ कहने की जरूरत ही नहीं होती। एक वही तो है जो हमारे बारे में सब जानता है।

Monday, 29 August 2016

शब्द...


हमें अपने शब्दों को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, अपनी आवाज़ को नहीं।

हमें अपने शब्दों को बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए, अपनी आवाज़ को नहीं। 
बेशक़ हम अपनी आवाज़ को बढ़ा कर लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकते हैं लेकिन ये आकर्षण
थोड़े देर के लिए ही होगा। 
लेकिन अगर हम अपने शब्दों को बढ़ाते हैं तो ये शब्द हमें एक पहचान देती है। एक ऐसी पहचान जो हमारे इस दुनिया में ना रहने पर भी लोगों की यादों में हमेशा ही ज़िंदा रहेगी।

Sunday, 28 August 2016

जीवन...


एक राजा एक फुलवारी बनवाना चाहता था। वो एक ऐसी फुलवारी बनवाना चाहता था जो हर तरह से संपूर्ण हो और कोई भी जब उसे देखे तो देखता ही रह जाये। फुलवारी बनवाने के लिए राजा ने पूरी दुनिया से सर्वश्रेष्ठ लोगों को बुलवाया।
सर्वश्रेष्ठ लोगों में से भी सर्वश्रेष्ठ को चुन कर राजा ने फुलवारी बनवानी शुरू की।
लोगों ने दिन रात मेहनत कर राजा की इच्छानुसार फुलवारी बना दी।
 जब राजा ने फुलवारी देखी तो राजा फुलवारी को देखते ही रह गए । फुलवारी को देख ऐसा लग रहा था जैसे स्वयं ब्रह्म ने अपने हाथों से इसका निर्माण किया हो। फूलों को देख ऐसा लग रहा था जैसे प्रकृति खुद इनके साथ खेल रही हो। फुलवारी को देख स्वर्ग का एहसास हो रहा था।
लेकिन राजा संतुष्ट नहीं थे। उन्हें कुछ तो कमी लग रही थी। राजा को समझ नहीं आ रहा था की वो कमी क्या है।
राजा ने दुनिया के विद्वानों को बुलाया और उनसे फुलवारी की कमी के बारे में पूछा लेकिन सभी फुलवारी को देख मंत्रमुग्ध थें। उनमे से किसी को भी फुलवारी में किसी कमी का पता नहीं चल पाया। कोई भी नहीं समझ पा रहा था की राजा को क्या कमी लग रही है।
तभी फुलवारी की तरफ से एक गरीब आदमी जा रहा था। राजा ने उस गरीब से पूछा के बताओ- "क्या तुम्हें इस फुलवारी में कोई कमी का एहसास हो रहा है?"
गरीब ने गौर से फुलवारी को देखा और कुछ देर शांत रहने के बाद बोला- " हे ! राजन् । इस फुलवारी में कुछ  सूखे हुए पत्तों की कमी है, कुछ मुरझाये हुए फूलों की कमी है।"
राजा समझ चुके थें के उनकी फुलवारी निःसंदेह बहुत सुंदर है मगर संपूर्ण नहीं है।

यही तो जीवन है जो सुख और दुःख के मिलने से बनती है। अगर हमारे जीवन में केवल सुख हो तो हम तकलीफ को कभी समझ ही नहीं पाएंगे
और अगर सुख सम्पन्नता के साथ साथ हम दुःख, कमी और तकलीफ को नहीं जियें तो शायद हम जीवन की सम्पूर्णता को कभी समझ ही ना पाएं।

Wednesday, 17 August 2016

सलाह...


इंसान जितनी सहजता  से सलाह देता है उतनी सहजता से और कुछ नहीं दे पाता।
                                          - रोचेफ़ोकोल्ड

ये एक हास्यास्पद बात है के हम किसी को भी आसानी से सलाह दे देते हैं लेकिन बात जब मदद की आती है तो उतनी ही आसानी से पीछे हट जाते हैं।
दरअसल हम जो भी हों, जैसे भी हों, जहाँ कहीं भी हो, जिस भी स्थिति में हों, किसी को सलाह देने की स्थिति में जरूर होते हैं और इसके लिए हमेशा तत्पर भी होते हैं। और कमाल की बात तो ये है कि कभी कभी हम बिना मांगे भी सलाह दे देते हैं या यूँ कहें कि हम अक्सर बिना मांगे ही सलाह दे डालते हैं।

एक बार एक चाय की दुकान पे कुछ लोग बैठ कर चाय पी रहे थें और साथ ही देश की अर्थब्यबस्था पर चर्चा भी कर रहे थें। वहाँ बैठे सभी लोग देश के प्रधानमंत्री को सलाह दे रहे थें के उनको देश के लिए क्या क्या करना चाहिए और कैसे कैसे करना चाहिए। तभी दुकान में लगे रेडियो में देश के प्रधानमंत्री का संदेश आने लगा। प्रधानमंत्री जी ने सभी देशवासीयो से अपील की के देश की तरक्की तभी सम्भव है जब हम सभी सही समय पे सही टैक्स पूरी ईमानदारी से सरकार को दें। 
इतना सुनते ही वहाँ बैठे सभी लोग चुप चाप उठे और वहाँ से निकल गए।
कुछ देर पहले जितनी सहजता से सभी प्रधानमंत्री जी को मुफ़्त की सलाह दे रहे थें उतनी ही सहजता से सभी उनके अपील को अनसुना कर दिए।