Monday, 27 June 2016
क्या हम एक चींटी से भी छोटे हैं ?
इन चींटियों ने तो केवल शरीर को ही खाया मगर हम तो इस शरीर की आत्मा को खा बैठे।
क्या हमे नहीं लगता के हम इन चींटियों से भी छोटे हो गए ।
क्या हम केवल अपना अपना फ़र्ज़ ही नीभा कर
इस बच्चे के लिए एक उम्मीद नहीं बन सकते थें ।
1 comment:
अमरेश कुमार सिन्हा
10 July 2016 at 00:18
Aatma ko jhakjor dene wala word likha hai aapne
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