वो अपना सा था
वो अपना सा था,
वो अपना सा था,
अपना सा था या अपना ही था
जिसके पास होने से सुकून मिलता था
जिसके साथ होने से आत्मविश्वास मिलता था
जिसके आने से जीवन की सारी खुशियाँ आयीं थीं
जो साथ अपने मेरे लिए शुभता के हर रंग लाई थी
वो खो गयी, वो छीन गयी
वो छीन गयी या आपे चली गयी???
वो थी तो अपनत्व का सार मिला
वो थी तो सौभाग्य का आभार मिला
उससे ही तो जीने का आधार मिला
उससे ही तो सपनों को आकार मिला
वो खो गयी, वो छीन गयी
वो छीन गयी या आपे चली गयी???
- राजीव कुमार
